भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बंशी बजाके श्यामने / भजन

Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 17 अप्रैल 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें-नाज़ से........२ मस्ताना कर दिया .

जब से दिखाई श्याम ने वो सांवरी सुरतिया........२
वो सांवरी सुरतिया वो मोहनी मुरतिया........२
खुद बन गये शमा मुझे परवाना कर दिया
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया

बांकी अदा से देखा मन हरन श्याम ने.....२
मन हरन श्याम ने सखी चित चोर श्याम ने....२
इस दिन दुनिया से मुझे बेगाना कर दिया....२
बंशी बजा के श्याम ने दीवाना कर दिया
अपनी निगाहें-नाज़ से........२ मस्ताना कर दिया .