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बटूजी! बटूजी! / रमेश तैलंग

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बटूजी! बटूजी!
बटूजी! बटूजी!
कहाँ से हो लाए ये सुंदर बहू जी।

कहाँ पर रचाई है चुपके से शादी?
न बाँटी मिठाई, न पीटी मुनादी।
बटूजी! बटूजी!
बटूजी! बटूजी!

गजब का है बाँधा ये माथे पर सेहरा।
दिखाओ हमें भी तो भाभी का चेहरा।
बटूजी! बटूजी!
बटूजी! बटूजी!

न हम आपको आज यूँ जाने देंगे।
मिठाई मिली न तो सब ताने देंगे।
बटूजी! बटूजी!
बटूजी! बटूजी!