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बाँहों में सबको ले लेंगे / मधुसूदन साहा

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मिल-जुल कर आओ खेलेंगे,
बाँहों में सबको ले लेंगे।

होली के दिन बड़े सुहाने
अपने-से लगते बेगाने,
मस्ती में डूबे हैं सारे
घर-आंगन, बस्ती-सिवाने,
छोड़ेंगे हम नहीं किसी को
सब को सरोबार कर देंगे।

कैसी धूम मची है भाई
रंग-बिरंगी होली आई,
हर मुखड़ा कार्टून बना है
घर-घर में खुशियाँ हैं छाई,

सड़कों पर हुड़दंग मची है
आज सभी कुछ हम झेलेंगे।

चलते रंगों के फव्वारे
सब लगते हैं प्यारे-प्यारे,
फेंक रहे छज्जों से छिपकर
रंगों से भर कर गुब्बारे,

रंग-रंगीले इस मौसम में
हम भी रंगों के हो लेंगे।