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बात तँ बड़के भेलैक / कालीकान्त झा ‘बूच’

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बात तँ बड़के भेलैक
दुःशासन जे केलकैक-
राजाक तन्तर बदनाम भ' गेलैक...!
जहिना- तहिना
लगलैक लुत्ती-
नांगरि त' नमरिते रहलैक मुदा-
नगरे जड़ि क' झाम भ' गेलैक...!
मरलैक रावण,
आर दुःशासन
अबैत अबैत अयलैक-
जनताक शासन!
मुदा आइ देखैत छी
बाट घाट सभ ठाम
चीर-हरण बात सरेआम भ' गेलैक...!
खूने ने घुसैत छल
अधकच्चू क' छोड़ियो त' दैत छल
होइत छल जीविते पर शिकार
"हमहीँटा” कहैत करैत छल वनविहार-
मुदा आइ देखैत छी-
ठामहि प'र
जुटैत अछि हाँजक हाँज कुकुर आ
लुझैत अछि म'र
चाम सन सुन्नर सुन्नर गोल गोल
गेन सन सरकार केँ
तेना ने तिड़लक तेना ने तिड़लक कि ओ
अपटी खेत मे गोल सँ नाम भ' गेलैक...!
राजाक तंतर आ प्रजाक मंतर सँ की भ' सकलैक?
कारनी त' कनिते रहलैक!
देह ओहिना खिन्न छैक
बाप रे केहेन जवदाह जिन्न छैक!
छोड़ह तंतर मंतर
बजबह खंतर झा केँ
ओ देतैक मंतर जे अबैत छैक अंतर सँ
ई लिखैत-लिखैत काव्यक राम-राम भ' गेलैक...!