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बाबा जे चललन घर बर खोजै / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में भारतीय हिंदू-नारी का उत्कृष्ट चरित्र वर्णित है।

बाबा जे चललन घर बर खोजै, आगु भै रुकमिनी ठाढ़ हे॥1॥
अपना जुगुति<ref>योग्य</ref> हो बाबा समधी जे खोजिहऽ, परिजन जोग बरियात हे।
सिया जुगुति हो बाबा घर बर खोजिहऽ, जैसन सीरी बैजनाथ<ref>श्रीवैद्यनाथ; भगवान शंकर</ref> हे॥2॥
उत्तर खोजलें गे बेटी दखिन खोजलें, खोजलें मगहा मुँगेर हे।
अपना जुगुति गे बेटी समधी न भेंटल, परिजन लोग न बरियात हे।
सिया जुगुति गे बेटी घर बर न भेंटल, भेंटल तपसी भिखारी हे॥3॥
तोरा लेखे आहो बाबा, तपसी भिखारी, मोरा लेखे सीरी बैजनाथ हे॥4॥

शब्दार्थ
<references/>