भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिना तुम्हारे कबूतर / निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस / उदयन वाजपेयी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:44, 6 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= निकिफ़ोरॉस व्रेताकॉस |अनुवादक=उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिना तुम्हारे कबूतरों ने
पाया नहीं होता जल

बिना तुम्हारे ईश्वर ने
आलोकित नहीं किए होते अपने फ़व्वारे

सेब का वृक्ष अपने फूल बिखेर देता है
बहती हवा में अपने कोट में

आकाश से तुम लाती हो जल
गेहूँ की चमक
और तुम्हारे ऊपर लटका है
गौरैयों से बना एक चन्द्रमा

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी