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मन बैरागी, तन अनुरागी, क़दम-क़दम दुश्वारी है / निदा फ़ाज़ली

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मन बैरागी, तन अनुरागी, क़दम-क़दम दुश्वारी है
जीवन जीना सहल न जानो, बहुत बड़ी फ़नकारी है

औरों जैसे होकर भी हम बाइज़्ज़त हैं बस्ती में
कुछ लोगों का सीधापन है, कुछ अपनी अय्यारी है

जब-जब मौसम झूमा हमने कपड़े फाड़े, शोर किया
हर मौसम शाइस्ता3 रहना कोरी दुनियादारी है

ऐब नहीं है उसमें कोई, लाल-परी ना फूल-गली
ये मत पूछो वो अच्छा है या अच्छी नादारी है