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मालूम है मुझे / मरीना स्विताएवा

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मालूम है मुझे
कैसी होती हैं दुनिया की सुन्दरताएँ,
कि यह सुन्दर नक्काशी किया प्याला
इस हवा
इन तारों
इन घोसलों से अधिक है नहीं हमारा।

मालूम है मुझे
जानती हूँ कौन है मालिक इस प्याले का।

हल्के पाँवों से आगे बढ़ता
मीनार की तरह ऊँचा
ईश्वर के डरावने और गुलाबी होंठों से
पंखों की तरह अलग हो गया है प्याला !

रचनाकाल : 30 जून 1921

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह