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मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी / कबीर
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मुनियाँ पिंजड़ेवाली ना, तेरो सतगुरु है बेपारी॥टेक॥
पाँच तत्त का बना है पींजड़ा, तामें रहती मुनियाँ।
उड़िके मुनियाँ डार पर बैठी, झींखन लागी सारी दुनिया॥1॥
अलग डाल पर बैठी मुनियाँ, पिये प्रेम रस बूटी।
क्या करिहैं जमराज तिहारो, नाम कहत तन छूटी॥2॥
मुनियाँ की गति मुनियाँ जानै, और कहै सब झूठी।
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, गुरु चरनन की भूखी॥3॥