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मैं पहुँचूँ तुम्हारे पास / सुशान्त सुप्रिय

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मैं पहुँचूँ
तुम्हारे पास

बेचैन मनों में चैन-सा
तपती धूप में ठंडी रैन-सा
सूरदास में दृष्टि-भरे नैन-सा

मैं पहुँचूँ
तुम्हारे पास

सूखी धरती पर बारिश के जल-सा
बुझे जीवन में खिले कमल-सा
हार रहे योद्धा में विजय के सम्बल-सा

मैं पहुँचूँ
तुम्हारे पास

जलते रेगिस्तान में हरे नखलिस्तान-सा
हैवानियत भरी दुनिया में नेक इंसान-सा
'आसन्न-मृत्यु अनुभव' के मरीज़ में
फिर से लौट आए प्राण-सा ।