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मैंने सातों सुर साधे हैं / गुलाब खंडेलवाल

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मैंने सातों सुर साधे हैं
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं

राग गले तक रह जाता है
जग का हृदय न छू पाता है
जुड़ न सका तुमसे नाता है
यों तो मैंने कसकर मन के तार-तार बाँधे हैं

मेरे शब्द-भ्रमर गुमसुम-से
मिलकर भी हर कली-कुसुम से
मिले नहीं उपवन में तुमसे
इतना लिख-लिखकर भी लगता, पृष्ठ सभी सादे हैं

मैंने सातों सुर साधे हैं
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं