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यात्रा (पाँच) / शरद बिलौरे

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अतुल कहो तो अतुल
रेखा कहो तो रेखा
मनु कहो तो मनु
रेल के जादुई संगीत में
लगातार बजते हैं सोचे हुए नाम।
और आँख बन्द करते ही रेल
विपरीत दिशा में
घर की तरफ़ दौड़ने लगती है।
कितना साफ़ दिखता है
रेल में बैठे-बैठे
हज़ारों मील दूर का घर।