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रात कटी गिन तारा तारा / हरकीरत हीर
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रात कटी गिन तारा तारा
कैसे कटेगा जीवन सारा
प्रेम बिना यह जीवन सूना
धन दौलत सब इसपर हारा
और न कोई दूजा तुझ बिन
सांसों में बस नाम तुम्हारा
रूठ न मुझ से मेरे हमदम
कोई तुझ सा मुझको न प्यारा
दर्द मेरा यूँ हँस कर बोला
मैं हूँ, फिर क्यों आंसू यारा?
हुई 'हीर' की ऐसी सूरत
राँझा राँझा किये पुकारा