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रातभर यूँ नींद से आकर जगाता कौन है / हरकीरत हीर

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रातभर यूँ नींद से आकर जगाता कौन है
ख्व़ाब में आकर बता ये, मुस्कुराता कौन है

प्यार का इक़रार यूँ करते नहीं तो क्या हुआ
आपकी बेचैनियाँ ये जो दिखाता कौन है?

हम नहीं, कोई नहीं, कोई कहीं या और है
है कहीं कोई, यूँ वर्ना, गुनगुनाता कौन है?

नींद जो आये दिये को तुम बुझा देना ज़रा
इस तरह इतना किसी को यूँ जलाता कौन है

इस जगह ताज़ी हवा आनी मुनासिब अब कहाँ
कट रहे जो पेड़ हैं, उनको लगाता कौन है

मत यकीं कर इन लकीरों और इस तकदीर पर
हाथ जिनके हैं नहीं, क़िस्मत लिखाता कौन है

टूटते नित देख रिश्ते हीर हैरां हो रही
प्यार का वो आशियाँ अब तो बनाता कौन है