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राह जब सच की आये हुए हैं / रंजना वर्मा

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राह जब सच की आये हुए हैं ।
क्यों कदम डगमगाये हुए हैं।।

रोज उम्मीद है टूट जाती
आस मन में जगाये हुए हैं।।

डूब कर पार जाना पड़ेगा
राह पर पग बढ़ाये हुए हैं।।

साथ में चाँद आए न आये
तारे तो जगमगाये हुए हैं।।

आँधियों से डरे बालकों को
गोद में माँ छुपाए हुए हैं।।

देश हित में समर्पित हृदय जो
धूल चंदन। लगाये हुए हैं।।

अपने बच्चों की खुशियों की खातिर
मायें आँचल बिछाये हुए हैं।।