भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लंच बॉक्स / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:22, 23 जनवरी 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मम्मी, छोड़ो लाड़-दुलार,
लंच बॉक्स कर दो तैयार।
सब्जी खूब मसालेदार,
गरम पूरियाँ पूरी चार।

पापड़ हो जाता बेकार,
रख दो चटनी और आचार।
क्यों देतीं केला हर बार,
मम्मी, रखना आज अनार।