भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वर्षा रानी / बालकृष्ण गर्ग

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:52, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चमक रही उजली-उजली
काले बादल में बिजली।
झर-झर बरस रहा पानी,
आई है वर्षा रानी।
[जनसत्ता, 28 जुलाई 1996]