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वसन्त जे ऐलोॅ छै / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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वसन्त की दूत छेकै
काम के देवता कामदेव रोॅ
के जानेॅ
मतर के देखलेॅ छै कामदेव केॅ
वसन्त केॅ तेॅ सब्भैं देखी रहलोॅ छै
केन्होॅ अपूर्व रूप छै
केकरा नै गुदगुदी होय रहलोॅ छै।
ई रूप देखी
हुन्नें कनेली के गाछ
फूलोॅ सेॅ लदलोॅ देखथैं बनै छै
तेॅ कचनार के फूलोॅ सेॅ सजवोॅ
आरो लुभावै छै
माधवीलता केॅ तेॅ लागै छै
वसन्त ओकरे लेॅ ऐलोॅ छै
तहीं सेॅ सजी-धजी बैठलोॅ छै
गोड़ोॅ सेॅ खोप तांय,
फूले सेॅ शृंगार करी
जेकरोॅ रूप देखी
महुआ आरो बेल तेॅ अलगे मतैलोॅ छै
सहजन के होने छै हाल
ई वसन्त की ऐलोॅ छै।