भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो भी चुपचाप है इस बार, ये किस्सा क्या है / हस्तीमल 'हस्ती'
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:08, 17 जून 2020 का अवतरण
वो भी चुपचाप है इस बार, ये क़िस्सा क्या है
तुम भी ख़ामोश हो सरकार, ये क़िस्सा क्या है
सिर्फ़ नफ़रत ही थी मेरे लिए जिनके दिल में
हो गए वे भी तरफ़दार, ये क़िस्सा क्या है
सामने कोई भँवर है न तलातुम फिर भी
छूटती जाए है पतवार, ये क़िस्सा क्या है
बैठते जब हैं खिलौने वे बनाने के लिए
उनसे बन जाते हैं हथियार, ये क़िस्सा क्या है