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वो भी चुपचाप है इस बार, ये किस्सा क्या है / हस्तीमल 'हस्ती'

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वो भी चुपचाप है इस बार, ये क़िस्सा क्या है
तुम भी ख़ामोश हो सरकार, ये क़िस्सा क्या है

सिर्फ़ नफ़रत ही थी मेरे लिए जिनके दिल में
हो गए वे भी तरफ़दार, ये क़िस्सा क्या है

सामने कोई भँवर है न तलातुम फिर भी
छूटती जाए है पतवार, ये क़िस्सा क्या है

बैठते जब हैं खिलौने वे बनाने के लिए
उनसे बन जाते हैं हथियार, ये क़िस्सा क्या है