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शाला है दोशाला चित्रशाला बहु भांतिन के / महेन्द्र मिश्र

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शाला है दोशाला चित्रशाला बहु भांतिन के
शाल ओ रूमाल ऊनेदार बने काम है।
धूसा अलेबान कोट कुर्त्ता गंजीफराश
कम्बल पछाही जाके सस्ते सभ दम है।
उम्दे जामेवार सुर्ख धानी वो सुफेद स्याह
चोंगा कामदार जाके सांचे सभ नाम है।
द्विज महेन्द्र रामचंन्द्र सउदा कुछ लीजें आज
देता हूँ उधार आप देना ना छेदाम है।