भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शून्य के साथ / राकेश रोहित

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 24 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश रोहित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शून्य के साथ रखा अंक
सुन्दर लगने लगता है
जैसे पांच की जगह पचास!

जैसे अपने हृदय का शून्य
सौंपता हूँ तुम्हें
और महसूसता हूँ विराट की उपस्थिति!

अपना शून्य लेकर
भटकता रहता हूँ इस निर्जन वन में

तुमसे मिलता हूँ
तो साकार हो जाता हूँ।