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सतरंगी / दीनदयाल शर्मा
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किसे नहीं अच्छा लगता फूल
सुन्दरता सबको भाती है
आदमी भले ही
फूल नहीं बन पाता
पर जब
वह मुस्कुराता है
खिलखिलाता है
तब होती है बौछार
भांति-भांति के फूलों से
महक उठता है वातावरण
बहने लगती है भीनी भीनी बयार
और आसमान में दिखने लगता है
सतरंगी इन्द्रधनुष।।।