भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सवालों की किताब- 72 / पाब्लो नेरूदा / प्रतिभा उपाध्याय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:52, 1 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पाब्लो नेरूदा |अनुवादक=प्रतिभा उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि मीठी हैं सारी नदियाँ
तो कहाँ से पाता है समुद्र नमक ?

कैसे जानते हैं मौसम
कि बदलनी है उन्हें कमीज़ ?

क्यों इतने धीरे से आती हैं सर्दियाँ
और उसके बाद इतना कम्पन ?

और कैसे जानती हैं जड़ें
कि उन्हें पहुँचना है प्रकाश तक ?

और बाद में स्वागत करती हैं हवा का
इतने फूलों और रंगों से ?

हमेशा एक सा ही रहता है बसन्त
जो दुहराता है अपनी भूमिका I

मूल स्पेनिश से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय