भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सोच लीजिए इन 'नाज़-ओ-अदा' से पहले / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:43, 28 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया सचदेव }} {{KKCatGhazal}} <poem> सोच लीजिए इन '...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सोच लीजिए इन 'नाज़-ओ-अदा' से पहले
न जाये मर खामखाँ कोई क़ज़ा से पहले
ख़ताएँ जारी रही तमाम उम्र यूं ही
रोकता रहा ज़मीर वैसे ख़ता से पहले
हो सके तो देखना कभी नजदीक आकर
बरसात होती है कैसे घटा से पहले
यकीन दिलाऊं तुझे कैसे ऐ 'जां-ए-जाना'
थे चैन से हम इस 'दौर-ए-वफ़ा' से पहले
वह फ़क़त रंग ही भर्ती रही अफसानों में
सब पहुंच भी गए मंजिल पे 'सिया' से पहले