भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमें याद है / कुमार रवींद्र

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:36, 30 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार रवींद्र |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यह घटना है बहुत पुरानी
                  हमें याद है
 
तुम बैठीं थीं उधर मेज के
तभी अचानक
हम दोनों का हाथ छुआ था
पता नही क्या हुआ
कि उसके बाद
सभी कुछ नया हुआ था
 
और बनी थी
सुनो, छुवन की तभी कहानी
                     हमें याद है
 
वर्षों बीते उस घटना को
किन्तु आज भी
वही छुवन ज़िंदा है भीतर
रच जाती है गीत देह के
उसी छुवन की
खुशबू आकर
 
रही छुवन वह
जन्मों-जन्मों की सहिदानी
                    हमें याद है
 
अब बी रोज़ वही करते हम
उसी छुवन को
हर पल जीते
घटना वह
इतिहास हो गयी
छुवन अभी भी मीठी, मीते
 
साथ जियेंगे
हम दोनों ने यह थी ठानी
                   हमें याद है