भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंधेरे का अर्थ / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा सुरमई
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा रेशमी
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा गेसू।
कितना आसान है
अंधेरे के नाम पर
हो जाना रोमानी
शायद तभी
कहीं आसपास
अंधेरे से घिरे लोग
अंधेरे में डूबी दुनिया
रह जाती है
बिन जानी-पहचानी।