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अंधेरे में देखना(कविता) / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
जब आप एक लम्बी सड़क पर
चलते-चलते थक जाएं
फिर भी रुकें नहीं
और आपके तलुवों से
संगीत सुनाई देने लगे।
जब आप एक शिखर पर चढ़ें
और साथ ही
दूर चोटी पर
एक सुनहरा कलश दिखाई देने लगे।
जब जीवन की रेल-पेल
और ठेलम-ठेल केा झेलते
सड़क के किनारे खामोश खड़े
एक आदमी की आंखों में
मासूम बच्चा फुदकता
शिशु हाथों से बुलाता दिखे।
जब तमाम अंधेरे के बावजूद
आपके अन्दर
चटख रंग का कोई फूल उगे
तो सच जानिए
आपके पास वह आंख है
जो अंधेरे में देखना जानती है।