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अख़बार / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
लाखों टन काग़ज़
बेकार कर दिया जाता है
केवल इसलिए
कि हम जान सकें
दुनिया में
कुकुरमुत्तों की तरह
बढ़ रहे हैं--
लोग
भोग
रोग