भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अगर ख़्वाहिश है कोई / वेरा पावलोवा
Kavita Kosh से
अगर ख़्वाहिश है कोई
तो लाजिमी है अफ़सोस
अफ़सोस है कोई अगर
तो जरुर बाक़ी होगी याद
अगर बाक़ी है कोई याद
तो क्या था अफ़सोस को
और
अफ़सोस नहीं था अगर
तो ख़्वाहिश ही कहाँ थी ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल