अतिवाद और अतिचार
के बिचों-बीच
एक
सर्वानुमति का सहज रास्ता निकालिए :
यही विवेका का विन्यास है ।
हाम्रे विचार से क्रांति की अतिरंजकता
एक प्रतिगामी तथ्य है :
वैसे ही,
जैसे
विचार की अराजकता को पालना-पोसना
मनुष्य, समाज और राजनीति को उल्टी दिशा में
ले जाना है ।