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अनुकम्पा के अवतार / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
Kavita Kosh से
कौन है वह पृथा पुरुषोत्तम ?
कौन है वह आकाश पुरूष ?
मैं जिसकी धरती होना चाहती हूँ.
कौन है विराट ज्योति का वह हिमालय ?
मैं जिसका दीपक होना चाहती हूँ.
कौन है अनंत सागर की गहराई ,मैं जिसका विस्तार होना चाहती हूँ.
कौन है वह सहारा मैं जिसका किनारा होना चाहती हूँ?
कौन है वह नक्षत्र समूह ?
मैं जिसका सूर्य होना चाहती हूँ.
कौन है पृकृति का वह सौन्दर्य पुंज ?
मैं जिसकी सुगंध होना चाहती हूँ.
कौन है वह दिव्य अनुकम्पा का अवतार ?
मैं जिसकी श्रद्धा होना चाहती हूँ.