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अपने सारे दुखों के साथ / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
पुरूष के सीने पर
कभी सिर
कभी हाथ रखकर
टटोलती है स्त्री
उसका मन
रह सके जिसमें
अपने सारे दुखों के साथ
निराश होती है वह।