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आ नाव मझधार अर एकलो आदमी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आ नाव मझधार अर एकलो आदमी
आ टूटी पतवार अर एकलो आदमी
पडूं-पडूं भींतां अर छात हेठै वासो
आ बिरखा री मार अर एकलो आदमी
थारो कांई तूं बस थारी खेंच ओढ
आ बात बेकार अर एकलो आदमी
हाथ नै बाढै हाथ अर छोड़ै पग मन
आ दोलड़ी मार अर एकलो आदमी
एक आस लियां मन अलख जगातो फ़िरै
आ हवा हथियार अर एकलो आदमी