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आखर री आंख सूं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
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प्रीत
ओलै-छानै पळी
परखी म्हैं
आखर री आंख सूं
हूक
होळै-सी क उठी
सुणी म्हैं
आखर री आंख सूं
गांठ
मनां मांय पड़ी
देखी म्हैं
आखर री आंख सूं