आख़िरी जाम / निकानोर पार्रा / उज्ज्वल भट्टाचार्य
हमें पसन्द हो या न हो,
हमारे सामने सिर्फ़ तीन विकल्प हैं :
बीता हुआ कल,
आज
और आनेवाला कल ।
और यहाँ तक कि
ये तीन विकल्प भी नहीं हैं
क्योंकि जैसाकि दर्शनशास्त्री कहते हैं —
बीता हुआ कल बीता हुआ कल है
वह सिर्फ़ हमारी याददाश्त में है :
जिस गुलाब को
तोड़ा जा चुका है
उसकी पँखुड़ियां नहीं मिल सकतीं ।
रह जाते हैं फिर
सिर्फ़ दो ही विकल्प :
आज और आनेवाला कल ।
और वे दो विकल्प भी नहीं हैं
क्योंकि यह सबको पता है
वर्तमान का अस्तित्व ही नहीं है
सिवाय इसके
कि वह अतीत में चला जाता है
और ख़त्म हो जाता है...,
बीत जाता है जवानी की तरह ।
आख़िरकार
हमारे पास आनेवाला कल ही रह जाता है ।
तो मैं
जाम उठाता हूँ
उस दिन के लिए
जो कभी आता नहीं ।
लेकिन यही एक विकल्प है
जो, बस,
हमारे पास रह जाता है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य