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आखिरी प्याला / निकानोर पार्रा / देवेश पथ सारिया
Kavita Kosh से
इस बात को पसन्द करो या मत करो
हमारे पास गिनती के तीन विकल्प होते हैं :
भूतकाल, वर्तमान और भविष्य
और दरअसल तीन भी नहीं
क्योंकि दार्शनिक कहते हैं
गुज़र चुका है भूतकाल
वह केवल स्मृति में है :
एक नोंचे हुए गुलाब से
एक और पँखुड़ी नहीं खींची जा सकती
हमारी गड्डी में सिर्फ़ दो पत्ते बचे :
वर्तमान और भविष्य
और दो भी नहीं
क्योंकि हर कोई जानता है
कि वर्तमान का तो कोई अस्तित्व ही नहीं
वह भी एक तरह से भूतकाल बन जाता है
गुज़रा हुआ वक़्त
जैसे जवानी
संक्षेप में
हमारे पास बचा सिर्फ़ भविष्य :
मैं शराब का एक प्याला बनाता हूँ
उस दिन के लिए जो कभी नहीं आता
पर सिर्फ़ वही है
जिस पर हमारा बस है ।
(अंग्रेजी अनुवाद: डेविड अंगर)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया