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आज / कहें केदार खरी खरी / केदारनाथ अग्रवाल
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काल पड़ा है बँधा
ताल के श्याम सलिल में
ताब नहीं रह गई
देश के अनल-अनिल में
रचनाकाल: २०-१०-१९७६