भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज दिन सोने का कीजो महाराज / ब्रजभाषा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आज दिन सोने का कीजो महाराज
सोने को सब दिन, रूपों की रात,
मोती के कलसे भराऊँ महाराज॥ आज दिन...
आज बहूरानी मेरे घर में है आई
नौबत-नगाड़े, बजवाऊँ महाराज॥ आज दिन...
हरे-हरे गोबर अँगना लिपाऊँ
बंदनवारें बँधवाऊँ महाराज॥ आज दिन...
सखी-सहेलिन सबकू बुलवा के
मंगल-गीत गवाऊँ महाराज॥ आज दिन...
साज-सिंगार बहू को करवा के
राई-नोन उतारूँ महाराज॥
आज दिन सोने को कीजे महाराज्॥