भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी बरबाद है यारो / पुरुषोत्तम प्रतीक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आदमी बरबाद है यारो
बस यही अवसाद है यारो

पेड़ पर बैठी हुई चिड़िया
पेड़ की बुनियाद है यारो

रास्ते में चुप्पियाँ कैसी
हर क़दम संवाद है यारो

सुर्ख़ आँखें बाँच कर देखो
आग का अनुवाद है यारो

लोग चाहे जिस तरह जी लें
मौत भी उस्ताद है यारो