आन्ना अख़्मातवा के लिए-2 / ओसिप मंदेलश्ताम
बर्फ़ पर दिखाई दी तू मुझे आज
उतरा हो जैसे काला फ़रिश्ता कोई
तुझ में झलके है आभिजात्य की छाप
उपहारित है जो उस ईश्वर से निर्मोही
नियति ने जीवन में पहले से ही
तय कर रखा है तेरा स्थान —
है किसी गिरजे की मुख्य-प्रतिमा तू
पर तुझे न इसका ज़रा भी भान
अनुराग ईश का जो तू लाई धरा पर
वह हमारी प्रीति से जुड़ जाए
हहराए रक्त जो हम में तूफ़ानी
मन-मन्दिर पर तेरे वह कभी न छाए
रंग तेरा गदबदा मरमर-सा
झलके तेरे चीथड़ों पर मायावी
देह-कमल की पँखुरियों पर छलके
पर गाल तेरे कभी हों न गुलाबी
(रचनाकाल : 1914 के शुरू में ?)
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Осип Мандельштам
Как черный ангел на снегу...
‹Анне Ахматовой›
Как черный ангел на снегу
Ты показалась мне сегодня,
И утаить я не могу —
Есть на тебе печать Господня.
Такая странная печать —
Как бы дарованная свыше, —
Что, кажется, в церковной нише
Тебе назначено стоять.
Пускай нездешняя любовь
С любовью здешней будут слиты,
Пускай бушующая кровь
Не перейдет в твои ланиты
И нежный мрамор оттенит
Всю призрачность твоих лохмотий,
Всю наготу причастных плоти,
Но не краснеющих ланит.
‹Начало 1914?›