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आपका कवि / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
भाइयो, बहनो
कवि
इस समय रोटी खा रहा है
और भाइयो, बहनो
आज खाना अच्छा बना है
तो
भाइयो, बहनो
कवि के इस दिन का
यह अच्छा अंत हो रहा है
मगर
भाइयो, बहनो
अब मैं यह कहने नहीं जा रहा
कि यह कवि अब गया काम से
यह कवि
आज खाने से इतना ख़ुश है
कि पान खाने
और सिगरेट पीने की भी सोच रहा है
और बहुत मुमकिन है भाइयो
आज वह कविता भी लिखे
भरोसा रखिये
कवि पर, भाइयो
आज वह अपनी खटिया पर
बच्चे को सुलाने से भी मना नहीं करेगा।