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आपसे मैं मिला नहीं होता / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
आपसे मैं मिला नहीं होता।
प्यार का सिलसिला नहीं होता।
आपसी ग़र बनी समझ होती,
रोज़ शिकवा-गिला नहीं होता।
ध्यान देता नहीं अगर माली,
फूल कोई खिला नहीं होता।
खू़ब मिहनत नहीं श्रमिक करते,
एक सुन्दर क़िला नहीं होता।
लोग जुटते नहीं यहाँ ‘बाबा’,
आज यह क़ाफ़िला नहीं होता।