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आम्बेडकरीय कविता - 5 / प्रेमशंकर

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वोट की चोट
अछूतों के लिए है
किसी और के लिए नहीं
ज़मीन किसी और के लिए है
अछूतों के लिए नहीं?
फिर कैसे बाबा साहेब की मूर्ति
लगेगी?
नयी संस्कृति कैसे उगेगी?
सवाल करो—
नक़ली मसीहा से।