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आया अन्धड़ / सूर्यकुमार पांडेय
Kavita Kosh से
आया अंधड़, आया अंधड़,
हड़बड़-हड़बड़, आया अंधड़।
गिरी डालियाँ, उड़ते पत्ते,
उड़ती टोपी, कपड़े-लत्ते।
उड़ते बरतन तड़बड़-तड़बड़,
आया अंधड़, आया अंधड़।
गिरी केतली, ढक्कन भागा,
उल्टा इक्का, लुढ़का ताँगा।
धम्म-धड़म-धड़, खड़बड़-खड़बड़,
आया अंधड़, आया अंधड़।
छप्पर-झुग्गी, महल-दुमहले,
आँधी से सबके दिल दहले।
धूल भरी, सब गड़बड़-गड़बड़,
आया अंधड़, आया अंधड़।