भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आस्था / शशि सहगल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुम्भ के मेले में
साधु करते हैं स्नान
देते हैं ज्ञान
पोथियों में लिखे शब्द
थमा देते हैं
प्रश्नाकुल आँखों को
क्या ख़ुद उन्हें
समस्या का समाधान मिल जाता है?
या फिर
कुम्भ यों ही निकल जाता है।