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आह प्यार ! / रॉबर्ट क्रीली

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मेरा प्यार एक नाव की तरह
तैरता
मौसम पर, पानी पर .
वह एक शिला है
समन्दर की तलहटी पर.
वह है हवा पेड़ों के बीच ।

मैं उसे पकड़ता हूँ
अपने हाथों
और उसे उठा नहीं सकता,
कुछ नहीं कर सकता उसके बिना । आह प्यार !
धरती पर किसी और चीज़-सा नहीं ।