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इज़्ज़तपुरम्-27 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
शाम की
कतई
जल्दी नहीं
पर सबेरा
कब होगा?
यही चाहता है
हर मेहनतकश
हाथ
क्यों नहीं
होने लगता
दिन चौबीस घंटे का?