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इत्तौ ई नीं जांणै कांई / चंद्रप्रकाश देवल

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थनै चावणौ इज
थनै उडीकणौ है

थूं थारी उडीक सूं पैली
पूगोड़ी है म्हारै मांय
आपरी चूकती मुद्रावां सागै

समझ में नीं आवै
जद थनै नीं चिंतारतौ व्हूं
तद कीकर उडीक सकूं
फेर आपां जांणां ई नीं
के कद व्है जावांला उडीकता हतास
अर कद पाछा ताखड़ा

कद कर लेवै अतीत सवारी आज माथै
अर कद आज चढ जा अतीत री कड़ियां में
कीं नीं कथीज सकै
खराखरी
कीं पतियारौ नीं इण रौ

ले, म्हैं छोडूं खुद नै
थारै भरोसै
म्हारा हेत!
आं अरथां में इज व्है तकदीर
अर व्है अदीठ आंक

प्रीत-नाथ!
थूं इत्तौ ई नीं जांणै कांई?