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इन दिनों / श्याम किशोर
Kavita Kosh से
यह तुम्हारी प्रसाधन की मेज़ है
कभी इस पर शीशियों की लम्बी
कतार रहा करती थी
इन दिनों यह बिल्कुल खाली है ।
इन दिनों
तुम्हारे बेटे के हाथ
पहुँचने लगे हैं
मेज़ की ऊँचाई तक ।