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इन्द्रधनुष काले क्यों हैं / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
कहाँ और कैसे छूट गये
मेरे जीवन के महाबरी रंग
कितने अरमानों से सौंप गये थे
मेरे पास अमानत की तरह
पर इतना ही चलना पड़ा था
मुझे बार-बार अकेले ही
कि इसे तो
लहू-लुहान होना ही था
रंगों की जगह ।